Monday, September 22, 2008

बाढ़ पर हो रही कलुषित राजनीति:मजलूम हो रहे मज़बूरी के शिकार

बाढ़ की इस विभीषिका पर भी राजनीति: छी:छी
कोसी का जल तांडव जारी है बिहार में आयी महा प्रलय कारी बाढ़ में न जाने कितने लोगो ने अपने परिजनों को खो दिया है बाढ़ की विनाश लीला के कारन चारो ओर त्राहिमाम त्राहिमाम की भयावह स्थिति बनी हुई है किसी के आँखें रोते रोते सूनी हो गए है तो किसी के आंसू नहीं थम रहे चारो तरफ पानी ही पानी है पर प्यासे है लोग खाने के लिया अगर कुछ भी मिल जाये तो लोग संतुस्ट हो जाते है, मजबूर है लोग घास तक खाने के लिए, बच्चे बीमार है और माँ मजबूर है, वो कुछ नहीं कर सकती . लेकिन बिहार में प्रलयंकारी बाढ़ को जब रास्ट्रीय आपदा घोषित की गए तो शुरु हो गए राजनीति इस महाविपदा की घड़ी में जब सभी नेताओं को राहत कार्यो में सहयोग करना चाहिए तब वो राजनैतिक लड़ाई लड़ रहे है बिहारी नेताओं का वाक्य युद्ध जारी है कोसी की विनास लीला कभी न कभी तो थम ही जायेगी पर जिस तरह से नेताओं का युद्ध जारी है क्या वो कभी थम पायेगी ? इस प्रलयंकारी बाढ़ ने धर्म , जात पात की दीवार तो थोड दी पर क्या कभी राजनीतिक पार्टियों के बीच की दीवार टूट पायेगी ?
अभी तक लाखो लोग बाढ़ में फसें है और जिन्दगी और मौत से लड़ रहे है जब जरुरत है बाढ़ पीडितों की मदद करने की तो वे राजनीति कर रहे है ये नेता बाढ़ पीडितों की मदद करना भूल सकते है पर नहीं भूलते अपनी पार्टी का गुणगान करना,अपनी उपलब्धिया गिनाना, बयानबाजी करना बाढ़ के २० दिन गुजर जाने के बाद भी बिहारी नेताओं के समूह ने जरुरत नहीं समझी इस समस्या पर बैठ कर १ घंटे भी बात करने की विपदा की घड़ी में सलाम उन सैनिकों को जिन्होने बाढ़ पीडितों की मदद के लिए अपनी जी जान लगा दी।


सलाम उन बिहार से बाहर रहने वालों लोगो को जो बाढ़ पीडितों की मदद के लिए आगे आये विपति में लाखों लोग फसें है पर रेल मत्री लालू प्रसाद यादव कहते है की मुख्य मंत्री नीतीश कुमार ने उन्हें फ़ोन करके सूचित नहीं किया रेल मंत्री द्वारा उठाये जा रहे सवालों के बारे में पूछे जाने पर मुख्य मंत्री नीतीश कुमार नाराज हो कर कहते है की वो उनके बारे में कोई बात नहीं करना चाहते है चनेलों पर एक दुसरे पर खूब गरजते बरसते है और एक दुसरे पर आरोप प्रत्यारोप करने वाले नेताओं के पास १ सप्ताह ज़मीन पर उत्तर कर केम्प करने की फुर्सत नहीं है बाढ़ के समय लोग कैसी जिन्दगी जी रहे है सिर्फ हवाई सर्वेक्षण से सत्य नहीं दिखाई पडेगा पानी में तरपते और तैरते लोगों को देखने से उनकी आंतरिक और मानसिक पीडा का एहसास नहीं होगा।

हालात इतने खराब हो गए है की लोग पशुओं से लेकर अपने बच्चों तक को बेचने पर मजबूर है जो सिलसिला बदस्तूर जारी है महिलाये असुरक्चित है जरुरत है सरकार को उन पर तुंरत कारवाई करने की, जो बाढ़ पीडितों की मजबूरियों का फायेदा उठा रहे है भारतीय राजनेताओं को चीनी रास्त्र्यापति से प्रेरणा लेने चाहिए की जब चीन में भूकंप आया था तो वह के रास्त्रपति ने प्रभवित क्षेत्रों में लगातार १४ दिनों तक राहत और बचाव कार्यों का संचालन स्वयं किया इससे बचाव और राहत कार्यों में तेजी तो आती ही है साथ ही हिम्मत आती है।
उन पीडितों में जो अपना सब कुछ गवां बैठे है जरुरत है भारत में भी इस तरह के सकारात्मक एवं प्रभावकारी कदम उठाये जाने की जरुरत है जिससे बाढ़ पीडितों में फिर से आशा की किरण एवं दिल में जीने का जज्बा पैदा हो सके इस भरी विपदा में अगर नेताओं का समूह एक दुसरे को कोसने के बजाये अगर बाढ़ पीडितों की मदद करे तो लाखो लोगो की जिन्दगी बच सकती है पर ऐसा शायद ही कभी होगा तभी तो राजनेता बयानबाजी में अपना समय बर्बाद कर सकते है बाढ़ पीडितों की मदद नहीं क्या इसी तरह बिहार कों बचाया जायेगा ?जो कुछ नेता कर रहे है क्या यह बिहारी की पहचान कों खंडित नहीं कर रहा है ?पर पीडितों की मदद और दुःख कों कम करने के बजाये नेताओं का समूह एक दुसरे की पोल खोलने में ज्यदा व्यस्त है।


येही हालात रहे तो स्थिति और गंभीर होगी यह सच है की बिहार सरकार एफ्लाक्स बाँध कों बचाने की कोशिश पुरे मन से नहीं की लेकिन क्या यह वक़्त लड़ने का है इस प्रलय की घड़ी में राजनेताओं का वाक्य युद्ध जिस तरह से जारी है वह पीडा पौंचाने वाला है एक दुसरे से आगे जाने की होड़ लगी है नेता जिस तरह से वोट के यह दावं पेंच खेल रहे है जब वोट देने वाले ही नहीं रहेंगे उन्हें वोट कहाँ से मिलेगी बिहारी नेताओं से प्रार्थना है की वे एक जुट हो कर पीडितों की सेवा करे उनकी मदद कों आगे आयें न की राजनीती करे।


(साभार :-प्रधान जी डॉट कॉम )

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